एकता में बल है ( हिंदी निबध) ! Ekta
me bal hai Short Essay on unity !
Ekta ki kahani
एकता में बल है ( हिंदी निबध) ! Ekta me bal hai par nibandh in hindi ! Short Essay on unity ! Eka ki kahani |
एकता में बल
है ( हिंदी निबध ) मिलजुल कर
कार्य करने की शक्ति को ही संगठन या एकता कहते है | 'एकता' में अपार शक्ति होती है। एकता एक प्रबल शक्ति
है। यह वीरता और बलिदान के कार्यों को बढ़ावा देती है और जनता में आत्म-विश्वास
उत्पन्न करती है। यह देशवासियों को उन्नति के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
संसार के अनेक राष्ट्रों ने एकता की भावना से प्रेरित होकर अभूतपूर्व उन्नति की
है। एकता जनता को व्यक्ति और समाज, दोनों के रूप में प्रोत्साहन और प्रेरणा देती
है। अकेले धागे को लेकर कोई भी तोड़ सकता है, परंतु अनेक धागो के मेल से बनी रस्सी बड़े-बड़े हाथियों को भी
बांध देती है अकेली पानी की बूंद का कोई महत्व नहीं, परंतु जब यह
मिलकर नदी का रूप धारण कर लेती है तो अपने प्रवाह में आने वाले बड़े से बड़े
पेड़ों और शिलाओं को भी बहा ले जाती है। अनेकता में एकता बहुत ही शक्तिशाली है जो हम
अकेले नहीं कर सकती वह एकता के साथ कर सकते हैं ! अनेकता में
एकता के कारण ही हमारा देश आजाद हुवा था और अनेकता के कारण
ही गुलाम रहा था । भारत की
गुलामी का मूल कारण लोगो में अनेकता ही थी ! अंग्रेजों ने
हममें फूट डालकर हमें गुलाम बना दिया। जब हम एक होकर खड़े हुए हैं, तो हमारा देश
स्वतंत्र हो गया। सच में एकता में बहुत बल है।।
एकता पर एक पंक्ति है
अक्सर अकेले अपनी परछाई से भी डर जाते है ,
अगर दूसरों
का साथ मिल गया तो हम दुनिया जीत जाते है !!
Writer:
Mahabir singh
एकता में बल है बेस्ट हिंदी निबंध ! एकता पर बेस्ट निबंध !(1000 शब्दों में)
जीवन में हम उन्नति पाने के लिए क्या कुछ नहीं करते परन्तु इसके बाद भी हमें सफलता प्राप्त नहीं होती ! कारण हम अकेले ही अभिमान में आकर कार्य करने लगते है न किसी से बात चित , न किसी की मदद लेना स्वयं ही बल लगता रहता है ! जिसके कारण अंततः वह हार मन जाता है की उससे अब वो कार्य नहीं हो पायेगा ! उदाहरण स्वरूप :- एक समय की बात है भरी तूफ़ान के कारण गाँव के रस्ते में एक बड़ा सा पत्थर पहाड़ी पर से डगर कर आजाता है ! जिससे रास्ता बंद हो जाता है तब एक किसान रस्ते से हो कर नदी जा रहा था परन्तु रस्ते में पत्थर होने के कारण उसका मार्ग बंद हो गया ! वह पत्थर को हटाने का पूर्ण प्रयास किया परतुं वो असफल रहा ! हर मानकर वह वापस घर लौट गया ! इसी प्रकार गांव के प्र्त्येक व्यक्ति इसे हटाने में असफल रहे ! सभी के प्रयास बिफल होने के बाद एक ज्ञानी पुरुष बोला इसे तुम सब अकेले नहीं हटा पावोगे जबतक तुम्हरे अंदर एकता नहीं होगी तब tak यह पत्थर नहीं हटने वाला ! फिर सब मिलकर उस पत्थर को एक साथ बल लगाकर हटाते है तो पत्थर एक कागज की भांति मार्ग से हैट जाता है !
जीवन में हम उन्नति पाने के लिए क्या कुछ नहीं करते परन्तु इसके बाद भी हमें सफलता प्राप्त नहीं होती ! कारण हम अकेले ही अभिमान में आकर कार्य करने लगते है न किसी से बात चित , न किसी की मदद लेना स्वयं ही बल लगता रहता है ! जिसके कारण अंततः वह हार मन जाता है की उससे अब वो कार्य नहीं हो पायेगा ! उदाहरण स्वरूप :- एक समय की बात है भरी तूफ़ान के कारण गाँव के रस्ते में एक बड़ा सा पत्थर पहाड़ी पर से डगर कर आजाता है ! जिससे रास्ता बंद हो जाता है तब एक किसान रस्ते से हो कर नदी जा रहा था परन्तु रस्ते में पत्थर होने के कारण उसका मार्ग बंद हो गया ! वह पत्थर को हटाने का पूर्ण प्रयास किया परतुं वो असफल रहा ! हर मानकर वह वापस घर लौट गया ! इसी प्रकार गांव के प्र्त्येक व्यक्ति इसे हटाने में असफल रहे ! सभी के प्रयास बिफल होने के बाद एक ज्ञानी पुरुष बोला इसे तुम सब अकेले नहीं हटा पावोगे जबतक तुम्हरे अंदर एकता नहीं होगी तब tak यह पत्थर नहीं हटने वाला ! फिर सब मिलकर उस पत्थर को एक साथ बल लगाकर हटाते है तो पत्थर एक कागज की भांति मार्ग से हैट जाता है !
इस कहानी से हमें
यह शिक्षा मिलती है की हमें कोई भी काम एकता
के साथ मिलजल कर करना चाहिए
जिससे सफलता जल्दी मिलती है
Writer:
Abhi chauhan
एकता में बल है ( हिंदी निबध) ! Ekta me bal hai par nibandh in hindi ! Short Essay on unity ! Eka ki kahani |
दूसरी कहानी
एक गाँव
में एक किसान रहता था जिसके चार पुत्र थे। किसान के चारों पुत्र हमेशा आपस में
लड़ते – झगड़ते
रहते थे। किसान को हमेशा यह चिंता लगी रहती थी के उसके मरने के बाद वह चारों आपस
में लड़ते रहेंगे और लोग उनका फायदा उठाते रहेंगे।
एक बार किसान बहुत बीमार पड़ गया
उसे लगा के उसकी मुत्यु अब बहुत निकट आ चुकी है। उसने अपने पुत्रों को समझाने के
लिए एक योजना बनाई उसने चारों पुत्रों को अपने पास बुलाया और उनको कुछ लकड़ियों को
इकठा करने के लिए कहा सभी ने कुछ लकड़ियों को इकठा किया और उस किसान ने चारों
पुत्रों को लकड़ी का एक – एक टुकड़ा
सबको तोड़ने के लिए कहा चारों पुत्रों ने लकड़ी के टुकड़े को आसानी से तोड़ दिया इसके
बाद किसान ने सभी लकड़ी के डंडों को इकठा किया और उन्हें बाँध दिया चारों पुत्रों
को उस लकड़ी के गठ्ठे को तोड़ने के लिए कहा परन्तु उनमे से किसी से भी वो गठ्ठा ना
टूटा।
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किसान ने अपने पुत्रों को
समझाते हुए कहा जब तक यह लकड़ियाँ एक साथ इकठी थी तुममे से कोई भी उन्हें नहीं तोड़
पाया। जैसे ही मैंने लकड़ी को एक – एक कर तोड़ने के लिए कहा आप सभी ने उसे आसानी से तोड़ दिया। इस
तरह यदि तुम भी एक साथ मिल कर रहोगे तो तुम्हे भी कोई नहो तोड़ सकता परन्तु
तुम्हारी आपस की लडाई के कारण तुम्हारे दुश्मन तुमको हरा देंगे।
किसान के
पुत्रों को सीख समझ में आ गई थी और वो आपस में प्यार से रहने लगे।
Realated Essays--
This is good but very very long essay for small kids
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